Author(s): डॉ. किरन सरोहा
शोधालेख-सार:
आधुनिक युग में महिला सशक्तीकरण आंदोलन जोरों पर है फिर भी स्त्री कुप्रथाओं एवम भेदभाव का शिकार हो रही है। बहुत सारे बंधन स्त्री को जकड़े हुए है। उसका सशक्तिकरण थोड़ा सा पथभ्रष्ट भी हुआ है। ऐसे में भारतीय महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर उनके विचारों का अवलोकन ज़रूरी हो जाता है। इन्ही महापुरुषों की कड़ी में एक नाम स्वामी विवेकानंद जी का है। इनके महिलाओं के लिए विचार अत्यंत आधुनिक थे। ये स्त्री पुरुष समानता के पक्षधर थे। स्त्रियों को शिक्षा दिये जाने व स्वतंत्रता दिए जाने को बहुत महत्व देते थे। वह महिलाओं से संबंधित कुरीतियो के ख़िलाफ़ थे।उन्होंने सती प्रथा और बाल विवाह का विरोध किया। दूसरी तरफ़ उन्होंने भारतीय महिलाओं को अपने देश की वीरांगनाओं एवम् महान स्त्रियों के चरित्र से प्रेरणा लेने की बात कही है । आधुनिक भारतीय स्त्री को पाश्चात्य स्त्रियों का अंधाधुंध अनुकरण न करने की सीख मिलती है जो आज की बालाओं के लिए आवश्यक है। परंतु पाश्चात्य देशों के विकास में सहायक कामकाजी महिलाओं के पक्षधर थे और भारतीय महिलाओं को भी घर की चारदीवारी से बाहर निकल काम करने के पक्षधर थे ।
मूलशब्द: पुनर्जागरण काल, महिला सशक्तीकरण, सुधारवादी आन्दोलन,स्त्री- पुरुष समानता, स्त्री-शिक्षा।
DOI: 10.61165/sk.publisher.v12i9.6
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स्वामी विवेकानंद की महिलाओं के प्रति विचारधारा
Pages:67-70
