Author(s): Dr. Kashmir Singh1, Dr. Rajni Kumari2
शोधालेख-सार:
21वीं सदी वैश्विक परिदृश्य में तेजी से बदलाव की सदी के रूप में उभर रही है। तकनीकी विकास, वैश्वीकरण, आर्थिक प्रतिस्पर्धा और पर्यावरणीय चुनौतियों के बीच भारत को अनेक जटिल समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। भारत एक ऐसा देश है जहाँ जनसंख्या, भौगोलिक विविधता, संसाधनों की उपलब्धता, राजनीतिक संरचना और सांस्कृतिक विविधता सभी मिलकर उसके विकास और वैश्विक भूमिका को प्रभावित करते हैं। इस सदी में भारत की समस्याएँ केवल आंतरिक स्तर तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वैश्विक संदर्भ में भी उनके प्रभाव को समझना आवश्यक है। वैश्विक स्तर पर राजनीतिक, आर्थिक और पर्यावरणीय निर्णयों के कारण भारत को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यही कारण है कि इस शोध का उद्देश्य भारत की समस्याओं का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करना है और उनके संभावित समाधान पर चर्चा करना है। भारत, अपनी विशाल जनसंख्या, विविध भौगोलिक संरचना और तेज़ी से बढ़ती औद्योगीकरण प्रक्रिया के कारण पर्यावरणीय संकट का सामना कर रहा है। 21वीं सदी में पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास भारत के लिए अत्यंत आवश्यक हो गया है। इस शोध पत्र में वर्तमान वैश्विक समस्याओं के संदर्भ में भारतीय दृष्टिकोण का सटीक व सारगर्भित विश्लेषण किया गया है।
मूलशब्द: वैश्विक चुनौतियाँ, तकनीकी विकास, पर्यावरणीयसंकट, भू-राजनीतिक, रणनीतिक सहयोग,कूटनीतिक चुनौतियाँ, राजनीतिक अस्थिरता
DOI: 10.61165/sk.publisher.v12i9.7
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21वीं सदी की प्रमुख वैश्विक समस्याएँ तथा भारतीय दृष्टिकोण: एक विश्लेषणात्मक अध्ययन
Pages:71-80
