Author(s):  Dr. Nitin Kumar  
शोधालेख सार: वस्तुतः भारत के संसदीय लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की अहम भूमिका होती हैं। वास्तव में राजनीतिक दल हमारे लोकतंत्र के वाहक हैं जो भारत की राजनीतिक व्यवस्था में जनता की भावनाओं का निर्धारण करते हैं तथा आम लोगों की राजनीति में सहभागिता में वृद्धि करते है। इसलिए भारत के संसदीय लोकतंत्र में राजनीतिक दलों बढ़ती की भूमिका के कारण इन्हें लोकतंत्र का बेताज बादशाह कहा जाता है। राजनीतिक दलों पर देश की राजनीतिक संस्कृति और उसके सामाजिक मूल्यों का प्रभाव अवश्य पड़ता है। यही कारण है कि राजनीतिक दलों की विविधतापूर्ण प्रकृति ही गठबंधन सरकारों के निर्माण की दिशा निर्धारित करती हैं। वर्ष 1989 के बाद लोकसभा में किसी भी अकेले दल को बहुमत प्राप्त न होने के कारण गठबंधन की राजनीति भारत के संसदीय लोकतंत्र में एक अपरिहार्य आवश्यकता के रूप में दृष्टिगोचर हुई और यह स्थिति 15वीं लोकसभा के चुनावों तक चलती रही। चूंकि वर्ष 2014 व 2019 में भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकारों का निर्माण हुआ, परंतु ये दोनों गठबंधन सरकारें पहले की तुलना में राजनीतिक विकास का एक ऐसा मॉडल प्रस्तुत करती हैं, जिससे यह स्पष्ट हो चुका है कि गठबंधन सरकारों का निर्माण पूर्ण बहुमत की स्थिति में भी संभव है। 
मूल शब्द: संसदीय लोकतंत्र, गठबंधन सरकार, राजनीतिक दल, जनादेश।  
DOI:10.61165/sk.publisher.v12i3.5
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 भारत में गठबन्धन की राजनीति का उद्भव एवं विकास 
Pages:35-39
