Author(s): तिलकराज
शोध सार: डॉ० अम्बेडकर भारतीय संविधान निर्माता के रूप में जाने जाते हैं। डॉ० अम्बेडकर ने एक साधारण अछूत परिवार में जन्म लिया और बड़ी कठिनाईयों से 10वीं की परीक्षा पास की। बाद में वे उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड व अमेरिका गए। वहाँ से शिक्षा प्राप्त करने के बाद भारत में वापस आकर उन्होंने वंचित समाज के लिए काम शुरू किया। डॉ० अम्बेडकर ही ऐसे नेता थे जो 1919 से 1946 तक भारतीय उपनिवेश में कानून बनाने वाली प्रक्रिया में शामिल थे। इसके बाद 1946 में डॉ० अम्बेडकर संविधान सभा के सदस्य चुने गए और 29 अगस्त 1947 को उन्हें प्रारूप समिति का अध्यक्ष चुना गया। इस प्रारूप समिति में छह सदस्य और भी शामिल थे। परन्तु वे कुछ कारणों से अपना कार्य नहीं कर सके और डॉ अम्बेडकर के कंधों पर ये पूरी जिम्मेवारी आ गई। डॉ अम्बेडकर ने संविधान निर्माण के समय दो तरह से कार्य किया। एक तो अछूतों के विजेता के रूप में और दूसरे एक संविधान विशेषज्ञ के रूप में। डॉ अम्बेडकर एक जाने माने संविधानवादी और राजनीति की गहरी समझ रखने वाले व्यक्ति थे। यद्यपि डॉ० अम्बेडकर भारतीय संविधान के निर्माण करते समय पूर्ण रूप से मुक्त नहीं थे। फिर भी उन्होंने एक ऐसे भारतीय संविधान का निर्माण किया, जिससे सबको सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय की प्राप्ति हो और सभी गरिमापूर्वक जीवन जी सकें। इस शोध-पत्र को पूरा करने के लिए ऐतिहासिक, विश्लेषणात्मक व वर्णनात्मक पद्धतियों का प्रयोग किया गया है।
मुख्य शब्द: संविधान सभा, प्रारूप समिति, कानूनविद, लोकतन्त्र, संसदीय प्रजातन्त्र, गणतन्त्र आदि।
DOI:10.61165/sk.publisher.v11i6.1
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भारत के संविधान निर्माण में डॉ० अम्बेडकर की भूमिका का अध्ययन
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