Author(s): दीपक शर्मा
शोध आलेख सार: सांख्य दर्शन के अनुसार पुरुष चेतन, त्रिगुणातीत एवं अपरिणामी है । प्रकृति जड़, त्रिगुणात्मिका एवं परिणामी है । सृष्टि का सारा विस्तार प्रकृति के कारण ही है , प्रकृति से ही सम्पूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति होती हैं । सत्त्वगुण, रजोगुण एवं तमोगुण की साम्यावस्था का नाम प्रकृति है । सृष्टि की आदि और विलय के अन्त में केवल एक प्रकृति ही शेष रहती है । सांख्य दर्शन के सिद्धान्तानुसार सृष्टि के कार्य में पुरुष का किंचित मात्र भी हस्तक्षेप नहीं होता है । पुरुष के सान्निध्य से जड़ प्रकृति ही सृष्टि का निर्माण करती है । पुरुष के सान्निध्य से प्रकृति के गुणों में क्षोभ उत्पन्न होता है और सृष्टि उत्पन्न हो जाती है । गुण क्षोभ सृष्टि का कारण है ।
मुख्य शब्द: सांख्य, त्रिगुण, वैदिक, त्रिगुणातीत, सृष्टिक्रम, साम्यावस्था, तन्मात्रा ।
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Download Full Article: योग में त्रिगुण की प्रकृति : सृष्टि निर्माण यात्रा
Pages:17-20