Author(s): किरन दलाल (शोधार्थी)१ , डॉ. रेखा रानी (शोध निर्देशक)२
शोधालेख सार: सदियों पुरानी धार्मिक परम्पराओं एवं समृद्ध संस्कृति सम्पन्न देश है भारत और भारत के इसी रूप को प्रतिविम्बित करता है इसका समृद्ध राज्य हरियाणा ।इस राज्य में देवी (माता) की पूजा प्राचीन काल से होती आई है। देवी को हम जननी, शक्ति व संरक्षक के रूप में पूजते है। यहाँ शीतला माता ,चिटाने वाली माता, बेरी की माता आदि पर बड़े-बड़े मेले लगते है। परन्तु दुखदः विषय यह है कि सारे देश के साथ-साथ सम्पन्न व उच्च धार्मिक परम्परओं के इस राज्य में कन्याओं की जन्म दर लगातार गिरावट की ओर है।2024 में हरियाणा में लिंग अनुपात 879 है जो की देश में सबसे निम्न स्तर पर है। जो राज्य के लिए शर्मनाक स्थिति है।भ्रूण हत्या को भारतीय संस्कृति में पाप की संज्ञा दी गई है तो इस्लाम में हमल(.भ्रूण) को जाया करना गैर इस्लामिक है ।फिर कौन है वे लोग जो अजन्मी की बलि चाहते है? क्यों यहाँ जन्मदात्री अपने ही अक्श को जन्म देने से कतराती है? कहीं ये वे भक्त तो नहीं जो नवरात्रों में कन्याओं की पूजा अर्चना करता है व आए दिन माता-जागरण का प्रपंच करता है? गरीब है या अमीर शिक्षित या अशिक्षित पुरुष है या स्त्री कौन सी जाति कौन से धर्म के है ये लोग? अहिंसा के पूजारी इस देश में जहाँ चीटी' को भी मारना पाप है तो गऊवध 'महापाप' तो फिर कन्या भ्रूण हत्या पर मौन क्यों है सब ? सर्वेक्षण व अनुसंधान चौकां देने वाले तथ्य प्रस्तुत करता है कि समाज जिसमें कभी एकरूपता न रही वह एकजूट हो इस जघन्य अपराध में शामिल है। गरीब अमीर शिक्षित या अशिक्षित, स्त्री-पुरुष सभी जाति, सभी धर्मो के लोग इसमें शामिल है।हरियाणा में एक कहावत है की "मां श्यारी हो त के पुत्ता न खागी" पुतों को तो नहीं परंतु मां अपनी पुत्री को जरुर अपने गर्भ से निकाल बोटी - बोटी कर जानवरों को खिला रही हैं या कूड़ेदान के हवाले कर रही है।
मूल शब्द: समृद्ध संस्कृति, परम्पराएं, भ्रूण हत्या, जाती, धर्म, कन्या वध।
DOI:10.61165/sk.publisher.v11i7.4
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हरियाणा में कन्या भ्रूण हत्या
Pages:17-22